समस्तीपुर की रैली में दिखी सियासी गर्मजोशी: नीतीश के पैर छूते दिखे चिराग, मंच पर गूंजीं तालियां और मुस्कानें!
चिराग पासवान और नीतीश कुमार का ‘दिल छू लेने वाला’ पल
समस्तीपुर की धरती शुक्रवार को सियासत के एक अनोखे नज़ारे की गवाह बनी। मंच पर जहां एक ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौजूद थे, वहीं दूसरी ओर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया चिराग पासवान पहुंचे और सीधा जाकर नीतीश कुमार के पैर छू लिए।
ना कोई झिझक, ना कोई राजनीतिक तना-तनी — बस एक सच्ची मुस्कान और पुराने दिनों की याद दिलाने वाला दृश्य। मंच पर बैठे बाकी नेताओं ने भी तालियों की गूंज से इस पल को और भी ऐतिहासिक बना दिया।
लोगों ने कहा, “वाह, राजनीति में भी ऐसे पल बचे हैं!”
रैली का माहौल: भीड़, जोश और राजनीति का ‘पब्लिक शो’
समस्तीपुर में एनडीए की इस बड़ी रैली का माहौल वैसे ही था जैसे बरसात से पहले का उमस भरा दिन — हर कोई कुछ बड़ा होने का इंतज़ार कर रहा था।
मोदी सरकार के विकास के वादे, नीतीश कुमार की स्थिरता और चिराग पासवान की युवा ऊर्जा — सब कुछ एक ही मंच पर था।
जब चिराग मंच पर आए, तो भीड़ में से आवाज़ें उठीं — “देखो-देखो, चिराग आ गए!”
नीतीश कुमार मुस्कराए, और फिर वो पल आया जिसने बिहार की राजनीति का ‘मूड’ ही बदल दिया।
चिराग पासवान ने जाकर नीतीश के पैर छुए और नम्रता से उनका आशीर्वाद लिया।
तालियां और कैमरों की चमक: सबने कहा – “अब एनडीए फिर से साथ है”
मंच पर मौजूद डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, भाजपा के नेता विजय कुमार सिन्हा और दूसरे नेताओं ने ताली बजाकर इस पल का स्वागत किया।
कैमरे फ्लैश होने लगे, रिपोर्टर अपनी लाइव कवरेज में बोल पड़े —
“दोस्तों, ये नज़ारा बिहार की राजनीति में बदलाव की आहट है!”
लोगों के चेहरों पर भी राहत थी। कई महीनों की खटपट के बाद नीतीश और चिराग का एक साथ मुस्कुराना वाकई किसी राजनीतिक फिल्म के क्लाइमेक्स जैसा लग रहा था।
चिराग ने क्यों नहीं दिया भाषण? मामला सिर्फ गले का या कुछ और?
अब ज़रा ये सुनिए — इतने सारे नेताओं के भाषणों के बीच, जब मंच संचालक ने चिराग पासवान को बोलने के लिए बुलाया, तो सबका ध्यान उधर चला गया।
लेकिन चिराग ने माइक नहीं संभाला।
कारण?
सूत्रों के मुताबिक, उनका गला बैठा हुआ था। अब भई, इतनी रैलियां और लगातार बोलना — कोई भी नेता थोड़ा ‘खरखरा’ सकता है।
हालांकि, कुछ राजनीतिक पंडितों ने तुरंत कहा, “भाषण न देना भी एक संकेत होता है।”
जब पीएम मोदी ने किया इशारा और नीतीश तुरंत उठे पोडियम की ओर
घटना थोड़ी फिल्मी भी थी।
मंच संचालक ने जैसे ही चिराग का नाम लिया, उसी वक्त पीएम नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार की ओर हल्का सा इशारा किया।
नीतीश तुरंत पोडियम की तरफ बढ़ गए और भाषण देना शुरू कर दिया।
चिराग वहीं अपनी सीट पर बैठे मुस्कुराते रहे।
आयोजकों ने बाद में बताया कि वक्त की कमी के कारण कार्यक्रम का क्रम बदल दिया गया था।
लेकिन सियासी विश्लेषक बोले — “यह सब ‘पॉलिटिकल टाइमिंग’ होती है भाई!”
नीतीश और चिराग की बातचीत: मुस्कान में छुपा संदेश
दोनों नेताओं के बीच हल्की-फुल्की बातचीत भी हुई। कैमरों ने उस पल को ज़ूम करके कैद कर लिया —
नीतीश बोले कुछ, चिराग ने हंसते हुए सिर हिलाया।
बस, इतना ही काफी था बिहार के राजनीतिक विश्लेषकों के लिए अगले तीन दिन तक टीवी पर बहस करने का।
राजनीति के शौकीन लोग बोले —
“अब तो मामला सेट लग रहा है, एनडीए में सब कुछ ‘ऑल इज़ वेल’ मोड पर है।”
तालियों की गूंज और जनता की प्रतिक्रिया
तालियों की गूंज ऐसी थी कि कई लोगों ने कहा, “लगता है बिहार में सियासी मौसम बदलने वाला है।”
सम्राट चौधरी से लेकर भाजपा के नेताओं तक, सबने नीतीश और चिराग के ‘मेल-मिलाप’ को एनडीए की मजबूती का संकेत बताया।
जनता के बीच चर्चा थी —
“चिराग जो पहले नीतीश को निशाना बनाते थे, अब उन्हीं के पैर छू रहे हैं — राजनीति भी कमाल चीज़ है!”
थोड़ा पीछे लौटें: नीतीश-चिराग की पुरानी ‘दूरी’
बात 2020 विधानसभा चुनाव की है।
तब एलजेपी (रामविलास) ने जेडीयू की लगभग सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए थे।
परिणामस्वरूप नीतीश कुमार की पार्टी को भारी नुकसान हुआ था और दोनों के रिश्ते में कड़वाहट आ गई थी।
चिराग तब खुलेआम कहते थे, “मैं नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनने दूंगा।”
अब वही चिराग, वही नीतीश — मंच पर साथ मुस्कुराते नज़र आए।
लोग बोले — “वाह, राजनीति में कोई दुश्मन हमेशा के लिए नहीं होता।”
एनडीए के लिए क्या है इस ‘मुलाकात’ का मतलब?
राजनीति में हर मुस्कान का मतलब होता है, और हर ‘पैर छूने’ के पीछे रणनीति।
एनडीए की इस रैली ने साफ कर दिया कि अब भाजपा, जेडीयू और लोजपा (रामविलास) मिलकर चुनावी मैदान में उतरेंगे।
नीतीश के अनुभव, मोदी की लोकप्रियता और चिराग की युवा छवि —
ये कॉम्बिनेशन एनडीए के लिए ‘परफेक्ट चुनावी मसाला’ साबित हो सकता है।
राजनीति में रिश्तों का मौसम जल्दी बदलता है
बिहार की राजनीति में मौसम का भरोसा नहीं।
कभी नीतीश महागठबंधन में जाते हैं, कभी एनडीए में लौट आते हैं।
और अब चिराग का यह कदम बताता है कि राजनीति में न कोई स्थायी दुश्मन होता है, न स्थायी दोस्त — बस ‘स्थायी हित’ होता है।
जैसे किसी ने सोशल मीडिया पर लिखा —
“बिहार की राजनीति Netflix सीरीज़ से भी ज्यादा ट्विस्टेड है!”
सोशल मीडिया पर क्या बोले लोग?
रैली का वीडियो सोशल मीडिया पर छा गया।
किसी ने लिखा – “राजनीति का सबसे प्यारा मोमेंट”
तो किसी ने कहा – “चिराग अब वाकई पापा के नक्शे-कदम पर हैं।”
कुछ यूजर्स ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में लिखा –
“भाई, नीतीश जी के पैर छूने से पहले कन्फर्म कर लेना चाहिए था कि कैमरे ऑन हैं या नहीं!” 😄
क्या यह एनडीए के अंदर की एकता की तस्वीर है?
बिलकुल।
रैली का पूरा माहौल, नेताओं की बॉडी लैंग्वेज और जनता की प्रतिक्रिया — सबने यही संदेश दिया कि एनडीए अब एकजुट है।
भले ही अतीत में कुछ तल्खियां रही हों, लेकिन चुनाव से पहले एकता का ये प्रदर्शन भाजपा और जेडीयू दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय: ये इशारा है आने वाले बदलावों का
कई राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे “सॉफ्ट सिग्नल ऑफ यूनिटी” बताया।
उनका कहना है कि नीतीश और चिराग के बीच की यह मुलाकात सिर्फ मंच की औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एक राजनीतिक रणनीति थी —
एक संदेश, कि एनडीए परिवार फिर से एक छत के नीचे है।
चुनाव से पहले का ‘रिश्ता रीलोडेड’ पल
अगर राजनीति को फिल्म माना जाए, तो यह रैली उसका इमोशनल क्लाइमेक्स थी।
जहां पुराने झगड़े भुलाकर दो नेता साथ आए, मुस्कुराए और जनता ने तालियां बजाकर ‘हैप्पी एंडिंग’ का संकेत दे दिया।
लेकिन असली सवाल यही रहेगा —
“क्या यह मुस्कान सिर्फ चुनाव तक रहेगी या वाकई नया भरोसा बनेगा?”
समय इसका जवाब देगा, लेकिन फिलहाल बिहार की सियासत में यह मुलाकात चर्चा के केंद्र में है।
तालिका: रैली के मुख्य बिंदु
| घटना | विवरण |
|---|---|
| स्थान | समस्तीपुर, बिहार |
| कार्यक्रम | एनडीए की चुनावी रैली |
| प्रमुख चेहरे | नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी, चिराग पासवान, सम्राट चौधरी |
| खास पल | चिराग ने नीतीश के पैर छूकर आशीर्वाद लिया |
| भीड़ की प्रतिक्रिया | तालियां और जयकारे |
| चर्चा का विषय | एनडीए की एकजुटता और बदलते समीकरण |
| चिराग का भाषण | गले की समस्या के कारण नहीं दिया |
निष्कर्ष: बिहार की राजनीति में फिर से ‘मिलन’ का मौसम
यह कहना गलत नहीं होगा कि समस्तीपुर की यह रैली बिहार की राजनीति में नई तस्वीर पेश कर गई।
नीतीश और चिराग का यह साथ न केवल एनडीए के भीतर एकता की झलक देता है, बल्कि जनता के बीच भरोसे का नया मैसेज भी भेजता है।
राजनीति चाहे जितनी पेचीदा हो,
लेकिन जब दो पुराने प्रतिद्वंदी एक मंच पर मुस्कुराते हैं —
तो जनता को भी थोड़ा सुकून ज़रूर मिलता है।
