1️⃣ SIR पर विपक्ष की चर्चा की मांग, लोकसभा और राज्यसभा में भारी हंगामा
2️⃣ विपक्षी सांसदों ने लगाए नारे— ‘वोट चोर’, ‘गद्दी छोड़’, कार्यवाही कई बार स्थगित
3️⃣ सरकार का बयान—चर्चा के लिए तैयार लेकिन नियम लागू होंगे
4️⃣ शीतकालीन सत्र में 10 नए बिल पेश होने की संभावना, विपक्ष ने चर्चा टालने का आरोप लगाया
लोकसभा और राज्यसभा में मंगलवार का दिन एक असली राजनीतिक “parliament chaos” जैसा लग रहा था। सांसदों के भीतर बैठने की बजाय वेल में नारे लगते दिखे, स्पीकर और सभापति घंटी बजाते रह गए और विपक्ष लगातार एक ही बात कहता रहा — “पहले SIR पर चर्चा करो, वरना सदन चलने नहीं देंगे!”
स्थिति ऐसी हो गई कि संसद का नज़ारा किसी स्कूल असेंबली जैसा दिख रहा था जहाँ टीचर बोल रहा है — “बैठ जाओ!” और स्टूडेंट्स कह रहे हैं — “पहले पिकनिक चाहिए!”
SIR क्या है और झगड़ा क्यों हो रहा है?
यह विवाद राजनीतिक, संवैधानिक और चुनावी आरोपों से जुड़ा है। विपक्ष SIR यानी Special Investigation Report (या चुनाव सुधारों से जुड़े विषय) पर त्वरित चर्चा की मांग कर रहा है।
विपक्ष का आरोप है कि यह सिर्फ रिपोर्ट नहीं बल्कि वोट चोरी का मामला है और इस पर चुप्पी लोकतंत्र की बेइज़्ज़ती है।
सरकार की दलील है — चर्चा होगी, लेकिन संसद के नियमों के अनुसार और बिना दबाव के।
लोकसभा में क्या हुआ — पूरा ड्रामा
सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू हुई और विपक्षी सांसदों ने एक मिनट भी इंतजार नहीं किया। नारे शुरू हो गए:
-
“वोट चोर! गद्दी छोड़!”
-
“लोकतंत्र बचाओ!”
-
“चर्चा करो!”
कुछ सांसद वेल तक पहुंच गए और स्पीकर ने पहले प्रश्नकाल जारी रखने की कोशिश की। लगभग 20 मिनट तक नारेबाजी चलती रही।
आखिरकार थककर स्पीकर ने कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित कर दी। बाद में दोबारा शुरू हुई तो फिर वही दृश्य — और फिर स्थगन।
राज्यसभा में माहौल और ज्यादा गर्म
राज्यसभा में विपक्ष ने जोरदार नारे और कागज लहराकर विरोध जताया। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा —
“लोकतंत्र बचाना हमारा अधिकार है। सरकार चर्चा से क्यों डर रही है?”
सरकार की तरफ से किरेन रिजिजू ने कहा —
“ये कोई तरीका नहीं है। सरकार तैयार है, लेकिन विपक्ष समय तय नहीं करने देता।”
बहस से ज्यादा बहस के तरीके पर बहस हुई।
विपक्ष क्या चाहता है?
विपक्ष की मांग बहुत सीधी बताई जा रही है, हालांकि नारे सुनकर लगेगा कि सियासत निजी हो चुकी है।
विपक्ष की मांगें:
| मांग | विपक्ष का दावा |
|---|---|
| SIR पर तत्काल चर्चा | यह राष्ट्रीय मुद्दा है |
| शब्द बदलकर भी चलेगा | SIR की जगह “इलेक्टोरल रिफॉर्म” लिख दो |
| सरकार पारदर्शिता दिखाए | लोकतंत्र सिर्फ जीत नहीं, जवाबदेही भी है |
खड़गे ने कहा:
“हम बोलना चाहते हैं, लेकिन हमें बोलने नहीं दिया जाता।”
सरकार क्या कह रही है?
सरकार का तर्क है — विपक्ष चुनाव हारकर बेचैन है और बिना नियम सदन नहीं चलेगा।
भाजपा सांसद दामोदर अग्रवाल ने कहा:
“बिहार की जनता फैसला दे चुकी है। अब विपक्ष SIR के नाम पर शो कर रहा है।”
कुछ नेताओं ने तो यह भी कहा कि विपक्ष को “हार पच नहीं रही।”
नारेबाजी: संसद या स्टेडियम?
जो लोग टीवी पर सत्र देख रहे थे, कई मिनट तक समझ नहीं पाए कि यह भारत की संसद है या कोई क्रिकेट मैच का पवेलियन।
कुछ चर्चित नारे:
-
“गद्दी छोड़!”
-
“लोकतंत्र शर्मिंदा है!”
-
“चर्चा कराओ!”
कई दर्शकों ने सोशल मीडिया पर लिखा —
“अगर संसद में माइक्रोफोन की जगह ढोल बजा देते तो दृश्य वही रहता।”
बड़ी बात: 10 नए बिल आने वाले हैं
सदन में हंगामे के बावजूद सरकार ने संकेत दिया है कि इस शीतकालीन सत्र में 10 महत्वपूर्ण बिल आ सकते हैं।
मुख्य बिल और उनका असर
| बिल | क्या बदलाव लाएगा |
|---|---|
| एटॉमिक एनर्जी बिल | निजी कंपनियों को न्यूक्लियर प्लांट लगाने की अनुमति |
| हायर एजुकेशन कमीशन बिल | UGC-AICTE-NCTE खत्म, एक नया राष्ट्रीय आयोग |
| नेशनल हाईवे अमेंडमेंट | भूमि अधिग्रहण तेज |
| सिक्योरिटीज मार्केट कोड बिल | SEBI और अन्य एक्ट एक कानून में |
| संविधान संशोधन 131वां | चंडीगढ़ को नया कानूनी दर्जा |
यानी संसद एक्शन में आने वाली है… अगर हंगामा रुका तो।
वंदे मातरम् चर्चा भी संभव
सरकार इस सप्ताह वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर 10 घंटे की विशेष बहस करा सकती है।
PM मोदी भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
लेकिन विपक्ष बोला —
“पहले चुनाव और SIR पर बात होगी, बाकी बाद में।”
राज्यसभा की नई बहस — जय हिंद बनाम वंदे मातरम्
शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने नोटिफिकेशन पर आपत्ति जताई और कहा —
“ऐसी घोषणा से गलतफहमी फैल सकती है, नियमों की स्पष्ट व्याख्या होनी चाहिए।”
मजेदार राजनीतिक क्षण
एक क्षण में किरेन रिजिजू ने कहा —
“विपक्ष बहाने ढूंढता है ताकि सदन न चले।”
इस पर रेणुका चौधरी बोलीं —
“तुम नालायक हो तो हम क्या करें!”
सदन में हंसी और शोर दोनों सुनाई दिए।
FAQ — लोग पूछ रहे हैं
Q. क्या SIR पर चर्चा होगी?
सरकार कह रही है — हाँ, लेकिन नियमों से। विपक्ष कह रहा है — अभी।
Q. क्या संसद फिर स्थगित हो सकती है?
स्थिति देखकर लगता है — हाँ, और कई बार।
Q. क्या नए बिलों पर असर पड़ेगा?
अगर हंगामा जारी रहा तो हाँ।
निष्कर्ष: संसद में लोकतंत्र ज़िंदा, बस थोड़ा शोर में
संसद का यह सत्र याद रहेगा — बहसों से नहीं बल्कि बहसों की मांग से।
सरकार और विपक्ष दोनों लोकतंत्र की बात कर रहे हैं, बस तरीका अलग है —
एक नियम चाहता है, दूसरा तुरंत माइक्रोफोन।
एक बात निश्चित है —
भारत में राजनीति कभी बोरिंग नहीं होती।
