- फिरोजपुर में RSS कार्यकर्ता के बेटे नवीन अरोड़ा की गोली मारकर हत्या।
- पुलिस टारगेट किलिंग और पाकिस्तान लिंक की जांच कर रही है।
- अब तक 3 गिरफ्तार, 2 फरार; NIA जांच की संभावना।
- परिवार का आरोप— पंजाब में कानून व्यवस्था ख़राब, कोई सुरक्षित नहीं।
Punjab की गलियों में चाय की दुकानों पर अक्सर राजनीति, क्रिकेट और कभी-कभी बॉलीवुड पर बहस होती है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से “RSS worker murdered in Punjab” वाला keyword खूब चर्चा में है। वजह साफ है—फिरोजपुर का एक शांत, साधारण और किसी से दुश्मनी न रखने वाला शख्स नवीन अरोड़ा अब इस दुनिया में नहीं है।
पिता बलदेव अरोड़ा बार-बार वही वाक्य दोहराते हैं—
“मुझे या मेरे बेटे को कभी धमकी नहीं मिली… फिर वो निशाने पर कैसे?”
ये सवाल सिर्फ एक बाप का नहीं, बल्कि पंजाब के हालात से परेशान हर नागरिक का सवाल बन चुका है।
नवीन की हत्या: शाम जो कभी भूल नहीं पाएगी
15 नवंबर की शाम कुछ ऐसी थी जैसे बाकी आम दिन होते हैं— दुकानें खुली थीं, सड़कों पर लोग थे, बच्चे स्कूल से लौट रहे थे और ट्रैफिक धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था।
उसी शाम 38 साल के नवीन अरोड़ा बच्चों को स्कूल से लेने निकले। रास्ता मोची बाजार से होकर जाता था। तभी दो बाइक सवार आए और गोली पर गोली बरसा दी।
कुछ सेकंड में पूरा दृश्य किसी फिल्म जैसा बन गया—फर्क बस इतना था कि यहां रिवाइंड या रीशूट नहीं था।
परिवार की तकलीफ़: शब्दों से बड़ा दर्द
बलदेव अरोड़ा कहते हैं:
“पंजाब में हालात बहुत खराब हैं। कोई भी किसी को मार दे—और सजा देने वाला कोई नहीं।”
नवीन की दो छोटी संतानें हैं—दो साल का बेटा और आठ साल की बेटी।
अब दोनों के मन में सिर्फ एक ही सवाल होगा—“पापा वापस क्यों नहीं आए?”
ये सवाल शायद कभी जवाब नहीं पाएगा।
क्या RSS कनेक्शन हत्या की वजह?
परिवार इस सवाल से डरता भी है और उससे लड़ता भी है। क्योंकि अरोड़ा परिवार में RSS की जड़ें पुरानी हैं।
| सदस्य | RSS भूमिका | समय अवधि |
|---|---|---|
| दीनानाथ अरोड़ा (दादा) | वरिष्ठ कार्यकर्ता | 1970s-90s |
| बलदेव अरोड़ा (पिता) | प्रौढ़ कार्य प्रमुख | वर्तमान |
| नवीन अरोड़ा | सक्रिय स्वयंसेवक | हाल के वर्ष |
बलदेव याद करते हैं और आधी मुस्कुराहट, आधा दर्द झलकता है:
“हम तो सालों से निशाने पर हैं। 1989 में तो शाखा पर हमला हुआ था, 25 लोग मारे गए थे। फिर भी अगले दिन शाखा लगी थी।”
ये बयान जितना साहस दिखाता है, उतना ही डर भी।
पुलिस जांच: खालिस्तानी एंगल, पाकिस्तान लिंक और कई थ्योरी
पंजाब पुलिस ने अब तक जो बताया है, उससे तस्वीर और उलझ गई है—साफ नहीं।
पहले पुलिस ने सोचा मामला रंजिश का है।
फिर एक फर्जी खालिस्तानी पोस्ट सामने आया।
और अब जांच पाकिस्तान कनेक्शन तक पहुंच गई है।
एक पुलिस सोर्स का कहना है:
“ये प्लानिंग बहुत प्रोफेशनल तरीके से हुई है। ये सामान्य हत्या नहीं, टारगेट किलिंग लगती है।”
अब तक:
| स्थिति | संख्या |
|---|---|
| गिरफ्तार आरोपी | 3 |
| फरार आरोपी | 2 |
| हथियार का सोर्स | अज्ञात |
| मामला NIA को? | लगभग तय |
सोशल मीडिया पर खालिस्तानी पोस्ट—सच या साज़िश?
उस पोस्ट में कहा गया कि यह हत्या 1984 ब्लूस्टार ऑपरेशन का बदला है।
पुलिस ने कुछ ही घंटों में इसे फर्जी घोषित कर दिया।
एक अधिकारी ने कहा:
“भाई, 1984 की बात करके 2024 में उस लड़के को क्यों मारेंगे जो उस समय पैदा भी नहीं हुआ था?”
ये सुनकर लोग थोड़ा हंसे भी— इतना सीरियस केस में भी दिमाग तो चलता है।
हत्या का प्लान: एक बर्थडे पार्टी से शुरू हुई कहानी
ये भाग सुनकर फिल्मों की याद आ जाती है, लेकिन ये रियल लाइफ है।
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कनव की बर्थडे पार्टी में प्लान बना
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जतिन मास्टरमाइंड
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बाकी को पैसों का लालच
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बादल नाम का शूटर अभी तक फरार
पुलिस जब पूछ रही थी कि “क्यों?”
तो आरोपी बोले—“पैसा।”
लेकिन पुलिस मानने को तैयार नहीं। उनका कहना है:
“ये सिर्फ पैसों का खेल नहीं, किसी बड़ी साज़िश का हिस्सा है।”
पंजाब में इससे पहले भी ऐसी हत्याएँ हुई हैं
इस मामले को समझने के लिए पुरानी घटनाएँ देखनी होगी।
| वर्ष | स्थान | टारगेट | जांच निष्कर्ष |
|---|---|---|---|
| 2016 | जालंधर | RSS उपाध्यक्ष जगदीश गगनेजा | इंटरनेशनल साजिश |
| 2017 | लुधियाना | रविंदर गोसाईं | KLF शामिल |
| 2017 | अमृतसर | विपिन शर्मा | पाकिस्तान लिंक |
पैटर्न साफ है—
बाइक, मास्क, गोली और टारगेट विशिष्ट संगठन।
RSS की प्रतिक्रिया: ‘Soft Target चुना गया’
RSS कार्यकर्ता प्रमोद कहते हैं:
“संघ का 100 साल पूरा हो रहा है। पंजाब में घर-घर संपर्क अभियान चल रहा है। हो सकता है इसे रोकने की कोशिश की गई हो।”
उनकी बात सुनकर लगता है मामला सिर्फ हत्या नहीं, विचारधारा की लड़ाई है।
कुछ लोग क्या सोच रहे हैं?
कुछ का मानना है:
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पंजाब फिर से पुराने दौर की तरफ लौट रहा है।
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सरकार कमजोर है।
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बाहरी शक्तियाँ राज्य को अस्थिर करना चाहती हैं।
कुछ लोग बस इतना बोलते हैं:
“भाई, अब तो शाम के बाद बाहर जाना भी रिस्क है।”
एक छोटी सी हंसी और भारी सच्चाई
एक दुकानदार बोला:
“पहले पंजाब में गोलियां सिर्फ शादी में चलती थीं… अब लगता है मार्केट में भी मुफ्त मिल रही हैं!”
ये लाइन सुनकर हल्की हंसी आती है, लेकिन साथ में दिल दुखता भी है।
FAQ
| प्रश्न | उत्तर |
|---|---|
| क्या हत्या के पीछे RSS कनेक्शन है? | जांच में मौजूद, पुष्टि अभी नहीं। |
| क्या पाकिस्तान लिंक मिला है? | पुलिस जांच कर रही है, शक मजबूत है। |
| क्या अभियुक्त पकड़े गए? | 3 गिरफ्तार, 2 फरार। |
| क्या NIA शामिल होगी? | बहुत संभावना है। |
Conclusion: सवाल अभी भी हवा में तैर रहे हैं
Punjab सिर्फ खेतों, संस्कृतियों और गानों का प्रदेश नहीं— ये बहादुरी और शांति की धरती भी है। लेकिन नवीन अरोड़ा की मौत बताती है कि यहां फिर से खतरा मंडरा रहा है।
बलदेव अरोड़ा का दर्द भरा वाक्य कानों में गूंजता है:
“नवीन का क्या कसूर था?”
शायद इस सवाल का जवाब NIA दे पाए—शायद नहीं।
लेकिन एक बात साफ है—
Punjab को सुरक्षा की जरूरत है। सिर्फ पोस्टर और भाषण नहीं— असली सुरक्षा।