- बिहार चुनाव में रिकॉर्ड 66.9% वोटिंग — आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा।
- पोल ऑफ पोल्स और सट्टा बाज़ार दोनों में NDA को बढ़त।
- ज्यादातर एजेंसियाँ नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री के तौर पर देख रही हैं।
- 5 पैरामीटर्स में से 4 NDA के पक्ष में — मजबूत सरकार की भविष्यवाणी।
बहुत लंबे समय से बिहार की सियासत उस टीवी सीरियल की तरह हो गई है जिसका नया एपिसोड आते ही लोग चाय बनाकर कुर्सी पर बैठ जाते हैं। इस बार भी जनता ने वही उत्साह दिखाया और वोटिंग रेट देखकर तो लगता है कि पूरा राज्य अपने-अपने घरों से निकलकर लोकतंत्र की “morning walk” पर चला गया था। किसी भी चुनावी चर्चा के बीच अगर आप “exit poll” जैसा english keyword बोल देंगे, तो आधा कमरा अचानक political expert बन जाता है।
रिकॉर्ड 66.9% वोटिंग और एग्जिट पोल्स के पैटर्न बताते हैं कि माहौल खासा दिलचस्प है। सवाल सिर्फ इतना है — सरकार किसकी? और मुख्यमंत्री कौन?
इस पूरी कहानी को 5 बड़े पैरामीटर्स में समझना आसान है, जो बताते हैं कि हवा किस तरफ बह रही है।
1. पोल ऑफ पोल्स: ज्यादातर एग्जिट पोल्स में NDA की आरामदायक बढ़त
एग्जिट पोल्स पर भरोसा करना थोड़ा ऐसा है जैसे मौसम विभाग की बारिश वाली भविष्यवाणी — कभी सही बैठ जाए, कभी अचानक धूप निकल आए। लेकिन फिर भी, दिशा तो मिल जाती है।
17 एग्जिट पोल्स के संयुक्त poll of polls का औसत कहता है:
-
NDA: 154 सीटें
-
महागठबंधन (MGB): 83 सीटें
-
अन्य: 5 सीटें
243 सीटों में NDA का यह आंकड़ा बताता है कि अगर एग्जिट पोल अपना वादा निभा दें, तो सरकार बनना लगभग तय।
सबसे मज़बूत पार्टी:
-
बीजेपी: ~75 सीटें
-
जदयू: ~67 सीटें
-
अन्य सहयोगी: ~12 सीटें
उधर MGB में:
-
RJD: ~58 सीटें
-
कांग्रेस: ~13 सीटें
-
अन्य: ~12 सीटें
सीधी भाषा में कहें तो — NDA के दफ्तर में मिठाई के डब्बे शायद पहले ही बुक हो चुके होंगे। दूसरी तरफ विरोधी खेमे में शांति है, शायद वे भी किसी बड़े चमत्कार की उम्मीद कर रहे हों।
Amit Shah का बयान और नेतृत्व का संकेत
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पहले वाले बयान ने बिहार की राजनीति को थोड़ा मसालेदार जरूर बनाया था। उन्होंने कहा था कि:
“चुनाव के बाद विधायक दल तय करेगा कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।”
इस लाइन ने पूरे माहौल में जैसे मिर्च-मसाला डाल दिया, और विपक्ष ने इसे ऐसे उछाला जैसे यह उनकी पसंदीदा गेंद हो।
हालांकि बाद में कई NDA नेताओं — नित्यानंद राय, राजीव प्रताप रूडी, सम्राट चौधरी आदि — ने साफ-साफ कहा:
“नीतीश ही मुख्यमंत्री बनेंगे।”
इसलिए एग्जिट पोल्स की रौशनी और बयानों की गर्मी में तस्वीर साफ दिखती है — NDA सरकार और नीतीश कुमार ही CM।
2. भास्कर रिपोर्टर्स पोल: ग्राउंड रिपोर्ट भी NDA की तरफ इशारा
दैनिक भास्कर के ज़मीन से जुड़े रिपोर्टर्स और राजनीतिक विशेषज्ञों का सर्वे भी NDA को बढ़त देता है। उनका अनुमान इस प्रकार है:
सीटों का अनुमान:
| गठबंधन | सीटें (अनुमानित रेंज) |
|---|---|
| NDA | 145–160 |
| महागठबंधन | 73–91 |
| अन्य | 5–10 |
गठबंधन वार:
| पार्टी | अनुमान |
|---|---|
| बीजेपी | 72–82 |
| जदयू | 59–68 |
| अन्य सहयोगी | 10–12 |
| RJD | 51–63 |
| कांग्रेस | 12–15 |
इस सर्वे में भी एक दिलचस्प बात सामने आती है — नीतीश के बिना NDA बहुमत से 28 सीटें दूर रह जाएगा।
इसका मतलब, बीजेपी चाहे जितनी बड़ी पार्टी आए, “नीतीश फैक्टर” जरूर ज़रूरी रहेगा।
चुनावों में यह गणित वैसे ही चलता है जैसे घर के बजट में — थोड़ी सी कमी पूरी तस्वीर बदल देती है।
3. वोटर टर्नआउट: रिकॉर्ड वोटिंग और बदलाव की परंपरा
इतिहास में बिहार के चुनावों ने एक पैटर्न दिखाया है —
जब भी 5% से ज्यादा वोटिंग बढ़ी या घटी, तब सरकार बदली।
पिछले 16 विधानसभा चुनावों में यह 4 बार हुआ है। इसमें से 3 बार वोटिंग बढ़ने पर सत्ता पलटी, एक बार वोटिंग घटने पर।
अब इस चुनाव में मतदान:
-
66.9% — आजादी के बाद सबसे ज्यादा
-
2020 की तुलना में 9.61% ज्यादा
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आंकड़ा अक्सर बदलाव की ओर संकेत करता है।
लेकिन दूसरी तरफ, 60% से अधिक वोटिंग वाले तीन चुनावों में हर बार RJD की वापसी हुई — इस हिसाब से तेजस्वी यादव भी उम्मीद लगाए बैठे हैं।
मतदान बढ़ना उस छात्र की तरह है जो अचानक चुपचाप टॉप कर जाता है — सोचने वाले सोचना शुरू कर देते हैं कि आखिर वोटर क्या सोच कर बाहर निकले?
इस पैरामीटर का निष्कर्ष — यह NDA के खिलाफ भी जा सकता है, लेकिन पिछले कई संकेतों की तुलना में इसका प्रभाव कमज़ोर दिख रहा है क्योंकि अन्य चार पैरामीटर्स NDA को बढ़त दे रहे हैं।
4. माहौल और पोस्टर पॉलिटिक्स: दोनों तरफ से पिच तैयार
पहले फेज़ के तुरंत बाद पटना में दो जगह नीतीश समर्थक पोस्टर लगे:
“25 से 30 फिर से नीतीश।”
चुनाव आयोग ने बाद में इन्हें हटवा दिया, मगर राजनीतिक गलियारों में इसने बड़ा संदेश दिया —
जदयू सीधे-सीधे कह रहा था कि:
“सरकार बनाई तो कप्तान हम ही तय करेंगे।”
बीजेपी दफ्तर में भी पोस्टर लगे जिन पर मोदी और नीतीश की जोड़ी नजर आई:
“सोच दमदार, काम असरदार, फिर एक बार NDA सरकार।”
राजनीति की भाषा में पोस्टर वही कहते हैं जो नेता कभी-कभी बोलने से कतराते हैं।
उधर तेजस्वी यादव ने confidently कहा:
“18 नवंबर को मैं मुख्यमंत्री पद की शपथ लूंगा।”
लेकिन RJD दफ्तर में शांति देखकर लगता है कि वे भी एग्जिट पोल्स को थोड़ा गंभीरता से ले रहे हैं।
NDA दफ्तर में 500 किलो लड्डू बनना शुरू हो चुका है।
लड्डू हमेशा भविष्यवाणी नहीं करते, लेकिन खाने लायक तो होते ही हैं।
निष्कर्ष — माहौल NDA के पक्ष में, और चेहरा नीतीश के पक्ष में।
5. सट्टा बाजार: तीनों बड़े बाजार NDA को सरकार देते दिखे
राजनीति में अगर कोई सबसे जल्दी हवा के रुख को समझता है तो वह है — सट्टा बाजार।
हालांकि यह कोई आधिकारिक संस्थान नहीं, पर अक्सर यह ground sentiment पकड़ता है।
दिल्ली सट्टा बाजार:
-
NDA: 142–145
-
MGB: 88–91
फलोदी (राजस्थान) सट्टा:
-
NDA: 145–148
-
MGB: 86–89
मुंबई सट्टा:
-
NDA: 147–150
-
MGB: 86–89
बीजेपी + जदयू = 130–132 के करीब आ रहे आंकड़े बताते हैं कि जादू का फॉर्मूला वही है —
NDA + नीतीश = सरकार।
सट्टा बाजार तीनों जगह NDA की सरकार बता रहा है और BJP को सबसे बड़ी पार्टी।
यहां भी स्थिति साफ — नीतीश बिना NDA बहुमत के पास नहीं पहुँच सकता।
तीन स्रोत, पाँच संकेत — किसकी सरकार?
अब पाँच संकेतों को एक साथ देखिए:
| पैरामीटर | किसके पक्ष में? | निष्कर्ष |
|---|---|---|
| पोल ऑफ पोल्स | NDA | साफ बढ़त |
| भास्कर रिपोर्टर्स पोल | NDA | बहुमत संभव |
| वोटर टर्नआउट | विरोधी संकेत | बदलाव संभव |
| माहौल + पोस्टर | NDA | नीतीश पर भरोसा |
| सट्टा बाजार | NDA | मजबूत सरकार |
कुल मामले में: 5 में से 4 पैरामीटर NDA के फेवर में।
इसलिए गणित भी, सियासी तापमान भी और एग्जिट पोल भी साफ कह रहे हैं:
➡ NDA की सरकार बनने की सबसे अधिक संभावना।
➡ मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार की वापसी लगभग तय।
FAQ: लोगों के मन के सबसे बड़े सवाल
1. एग्जिट पोल कितने भरोसेमंद होते हैं?
उनका रिकॉर्ड मिला-जुला रहा है, पर बड़े अंतर वाली भविष्यवाणियाँ अक्सर दिशा सही देती हैं।
2. क्या नीतीश कुमार ही NDA के मुख्यमंत्री चेहरे हैं?
ज्यादातर NDA नेताओं और बयानों के अनुसार — हाँ।
3. क्या वोटिंग बढ़ने से सत्ता पलट सकती है?
कभी-कभी ऐसा हुआ है, पर यह कोई पक्का नियम नहीं। यह चुनाव कई अन्य संकेत देता है जो NDA के पक्ष में हैं।
4. सट्टा बाजार की भविष्यवाणियाँ माननी चाहिए?
यह कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं, पर ground mood का संकेत होता है।
Conclusion: बिहार ने रिकॉर्ड वोट डाला, और हवा NDA की तरफ बहती दिख रही है
बिहार की राजनीति हमेशा से कहानी, मोड़, ड्रामा और सरप्राइज़ का मिश्रण रही है।
इस चुनाव में जनता ने जमकर वोटिंग करके साफ कर दिया कि वे बदलाव चाहती हों या स्थिरता — उन्हें निर्णय लेने का पूरा उत्साह है।
पोल ऑफ पोल्स, रिपोर्टर्स पोल, पोस्टर पॉलिटिक्स और सट्टा बाजार — चारों की ओर से जो संकेत मिल रहे हैं, वे कहते हैं:
“NDA वापस आ रहा है और कप्तान वही पुराने, अनुभवी नीतीश कुमार बनने जा रहे हैं।”
अब नतीजे क्या कहते हैं — वह तो चुनाव आयोग ही बताएगा।
लेकिन अभी के माहौल को देखें तो राजनीतिक मौसम-बदलाव की बजाय मौसम-स्थिरता की भविष्यवाणी मजबूत दिखाई देती है।