Murshidabad Babri Mosque Foundation Row: निलंबित TMC विधायक हुमायूं कबीर ने रखी बाबरी तर्ज की मस्जिद की नींव, बंगाल में सियासी हलचल तेज

HIGHLIGHTS

  1. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में निलंबित TMC विधायक हुमायूं कबीर ने बाबरी तर्ज की मस्जिद की नींव रखी
  2. करीब 2 लाख लोगों की भीड़, लोग सिर पर और ट्रैक्टर-ट्रॉली से ईंट लेकर पहुंचे
  3. हाईकोर्ट से रोक न लगने के बाद भारी सुरक्षा के बीच कार्यक्रम संपन्न
  4. भाजपा ने इसे मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति बताया, TMC पहले ही कबीर को सस्पेंड कर चुकी है

पश्चिम बंगाल की राजनीति में शांति आमतौर पर चुनाव खत्म होते ही खोजी जाती है, लेकिन मुर्शिदाबाद के बेलडांगा इलाके में शनिवार को हालात कुछ अलग ही नजर आए। Murshidabad Babri Mosque Foundation ने ऐसा सियासी शोर मचाया कि सुरक्षा व्यवस्था से लेकर बयानबाज़ी तक सब कुछ हाई वॉल्यूम पर चला गया।

TMC से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने अयोध्या की बाबरी मस्जिद की तर्ज पर बनने वाली मस्जिद की आधारशिला रख दी। मंच पर मौलवियों के साथ फीता कटा, नारा-ए-तकबीर गूंजा और देखते-देखते पूरा इलाका एक विशाल धार्मिक-राजनीतिक सभा में बदल गया।


बेलडांगा में क्या हुआ: मंच, नारे और भारी भीड़

शनिवार सुबह से ही बेलडांगा और आसपास के इलाके में असाधारण हलचल दिखने लगी थी। कोई सिर पर ईंट उठाए चला आ रहा था, कोई रिक्शा-वैन में ईंट रखकर, तो कोई ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ।

करीब 2 लाख से ज्यादा लोग कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। हुमायूं कबीर ने मौलवियों के साथ मंच पर फीता काटा और औपचारिक तौर पर मस्जिद की नींव रखी।

भीड़ के जोश का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि “अल्लाहु अकबर” के नारे माइक से ज्यादा दूर तक बिना माइक के सुनाई दे रहे थे। राजनीतिक मंच कम और इम्तिहान से पहले की नोट्स-डिस्ट्रिब्यूशन लाइन ज्यादा लग रहा था—हर किसी के हाथ में ईंट, लेकिन चेहरों पर राजनीतिक संदेश।


सुरक्षा का ऐसा घेरा, जैसे कोई बड़ा इम्तेहान हो

स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं था।

सुरक्षा व्यवस्था एक नजर में

  • सेंट्रल आर्म्ड फोर्स की 19 टीमें

  • रैपिड एक्शन फोर्स और BSF

  • स्थानीय पुलिस की कई टुकड़ियां

  • कुल तैनाती: 3000 से ज्यादा जवान

सुबह से ही पूरा इलाका हाई अलर्ट पर रखा गया। हर आने-जाने वाली गाड़ी पर नजर थी। कहा जा सकता है कि बेलडांगा शनिवार को “सुरक्षा अभ्यास क्लास” में तब्दील हो गया था।


हुमायूं कबीर का दावा: साजिशों के बावजूद कार्यक्रम

कार्यक्रम से पहले हुमायूं कबीर ने साफ शब्दों में कहा था कि मस्जिद निर्माण को रोकने के लिए साजिशें हो रही हैं।

उनका कहना था—
“हिंसा भड़काकर कार्यक्रम रोकने की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन कोई ताकत मुझे नींव रखने से नहीं रोक सकती। हाईकोर्ट के आदेशों का पूरा पालन होगा।”

बयान में आत्मविश्वास दिखा, साथ ही सियासी चुनौती भी। कबीर यह संदेश साफ देना चाहते थे कि पार्टी से सस्पेंड होने का मतलब राजनीतिक चुप्पी नहीं।


कोलकाता हाईकोर्ट का रुख क्या रहा

इस पूरे विवाद का कानूनी पहलू भी कम अहम नहीं रहा।

शुक्रवार को कोलकाता हाईकोर्ट ने मस्जिद निर्माण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि—

  • कार्यक्रम के दौरान शांति बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी

  • कानून-व्यवस्था में कोई ढिलाई मंजूर नहीं

हाईकोर्ट की इस टिप्पणी के बाद ही शनिवार को शिलान्यास किया गया।


सऊदी से धार्मिक नेता और मेगा इंतजाम

कार्यक्रम सिर्फ स्थानीय नहीं था, बल्कि अंतरराष्ट्रीय टच भी दिया गया।

  • सऊदी अरब से धार्मिक नेता पहुंचे

  • 25 बीघा जमीन पर आयोजन

  • 150 फीट लंबा और 80 फीट चौड़ा स्टेज

स्टेज पर 400 से ज्यादा लोगों के बैठने का इंतजाम किया गया था। हुमायूं कबीर ने पहले ही दावा किया था कि 3 लाख से ज्यादा लोग जुटेंगे।

खाने-पीने की व्यवस्था भी पीछे नहीं रही।

इंतजामों का दिलचस्प आंकड़ा

व्यवस्था संख्या
बिरयानी पैकेट 60,000+
वॉलंटियर्स 2,000+
स्टेज पर सीटें 400+

राजनीति हो या धार्मिक आयोजन, बंगाल में पेट की राजनीति हमेशा बराबर चलती है—यहां भी वही हुआ।


भाजपा का आरोप: वोट बैंक की राजनीति

भाजपा ने इस पूरे कार्यक्रम को सख्त शब्दों में आड़े हाथ लिया।

भाजपा नेता दिलीप घोष ने कहा कि यह मुस्लिम वोट बैंक को आकर्षित करने की कोशिश है। उनके मुताबिक जनता समझने लगी है कि धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल किसलिए किया जाता है।

सीनियर भाजपा नेता अमित मालवीय ने X पर लिखा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आग से खेल रही हैं और हुमायूं कबीर को मुस्लिम ध्रुवीकरण के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

भाजपा का दावा है कि बेलडांगा पहले से संवेदनशील इलाका रहा है और यहां अशांति फैलने का खतरा राज्य की आंतरिक सुरक्षा तक को प्रभावित कर सकता है।


TMC ने क्यों किया हुमायूं कबीर को सस्पेंड

TMC इस पूरे विवाद से खुद को अलग दिखाने की कोशिश करती रही।

घटना की सियासी टाइमलाइन

  • 28 नवंबर: बेलडांगा में बाबरी मस्जिद शिलान्यास के पोस्टर लगे

  • 3 दिसंबर: TMC ने बयान जारी कर दूरी बनाई

  • 4 दिसंबर: हुमायूं कबीर को पार्टी से सस्पेंड किया गया

कोलकाता मेयर फिरहाद हकीम ने साफ कहा कि पार्टी सांप्रदायिक राजनीति में विश्वास नहीं करती।

हुमायूं कबीर का जवाब सीधा था—
“अपने बयान पर कायम हूं। 22 दिसंबर को नई पार्टी बनाऊंगा और 135 सीटों पर चुनाव लड़ूंगा।”

सियासत में सस्पेंशन कई बार विदाई भाषण बन जाता है, यहां भी कुछ वैसा ही माहौल दिखा।


अयोध्या बाबरी विवाद की लंबी कहानी, संक्षेप में

बेलडांगा की घटना को अयोध्या के इतिहास से जोड़े बिना समझना मुश्किल है।

1992 से 2025 तक की अहम घटनाएं

  • 1992: विवादित ढांचा गिराया गया

  • 2003: ASI रिपोर्ट में मंदिरनुमा ढांचे का दावा

  • 2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट का तीन भागों में बंटवारा

  • 2019: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

  • 2020: राम मंदिर भूमि पूजन

  • 2024: रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा


छह साल बाद भी अयोध्या में मस्जिद क्यों नहीं बनी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष को अयोध्या के धन्नीपुर गांव में 5 एकड़ जमीन मिली थी।

हालांकि,

  • NOC अब तक नहीं मिली

  • लेआउट प्लान को मंजूरी नहीं

  • निर्माण शुरू नहीं हुआ

इसी अधूरेपन की पृष्ठभूमि में मुर्शिदाबाद की यह पहल और ज्यादा राजनीतिक रंग लेती है।


धर्म, राजनीति और चुनाव: तीनों का संगम

बेलडांगा की घटना किसी एक समुदाय तक सीमित नहीं है। यह उस राजनीति का उदाहरण है जहां—

  • धर्म भावनाओं से जुड़ता है

  • चुनाव समीकरण बदलते हैं

  • बयान हेडलाइन बनते हैं

थोड़ा सा हास्य भी इसी में छिपा है—ईंटें मज़बूत थीं, लेकिन राजनीति उससे भी भारी।


FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1. हुमायूं कबीर कौन हैं?
वे पश्चिम बंगाल के भरतपुर से विधायक रहे हैं और हाल ही में TMC से सस्पेंड किए गए।

Q2. मस्जिद की नींव कहां रखी गई?
मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा इलाके में।

Q3. क्या कोर्ट ने मस्जिद निर्माण पर रोक लगाई थी?
नहीं, कोलकाता हाईकोर्ट ने रोक लगाने से इनकार किया था।

Q4. भाजपा का विरोध क्यों है?
भाजपा इसे मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति बता रही है।


Conclusion

मुर्शिदाबाद का यह शिलान्यास सिर्फ ईंट-गारे का मामला नहीं, बल्कि वह आईना है जिसमें बंगाल की राजनीति खुद को देख रही है। एक तरफ धार्मिक भावनाएं हैं, दूसरी तरफ चुनावी रणनीति।

हुमायूं कबीर ने नींव रख दी है, लेकिन असली इमारत अब राजनीति में बनेगी। आने वाले दिनों में दीवारें मजबूत होंगी या दरारें बढ़ेंगी, यह बंगाल की जनता तय करेगी।

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