- भारत–रूस नया पेमेंट सिस्टम बनाने पर सहमत—रुपया-रूबल ट्रेड तेज हो सकता है।
- 10 लाख भारतीय वर्कर्स के लिए रूस में बड़े रोजगार अवसर संभव।
- Su-57 और S-500 पर गहराती बातचीत—HAL के लिए भी बड़ा मौका।
- कुडनकुलम न्यूक्लियर प्रोजेक्ट, ऊर्जा सहयोग और नए शिपिंग रूट पर चर्चा।
भारत और रूस के बीच इस साल की समिट कुछ ज़्यादा ही चर्चा में है। दुनिया में चाहे जितनी geopolitics गर्म क्यों न हो, दोनों देशों ने दिखा दिया है कि रिश्ते सिर्फ कूटनीति से नहीं—बल्कि भरोसे से चलते हैं। इसी भरोसे का असर है कि इस बार बैठकों में new payment system, energy deals, workers mobility pact, fighter jets technology और nuclear projects तक हर मुद्दे पर खुलकर बात हुई।
दुनिया की नज़रें दिल्ली पर इसलिए टिक गई हैं क्योंकि यह दौरा सिर्फ तेल-गैस या रक्षा खरीद की औपचारिकता नहीं है, बल्कि ऐसे बड़े फैसलों की तैयारी है जो आने वाले 20 साल की foreign policy और economy दोनों बदल सकते हैं।
नया पेमेंट सिस्टम: भारत और रूस का ‘बिल चुकाने का अपना तरीका’
कई महीनों से भारत–रूस व्यापार में जो सबसे बड़ी दिक्कत सामने आ रही थी, वह पेमेंट की थी। रूस भारत को सस्ता क्रूड बेच रहा है, लेकिन अमेरिका और यूरोप की पाबंदियों ने अलग ही लेयर का ‘टेंशन-क्रिएटर’ बना रखा है।
ऐसे माहौल में दोनों देशों ने सोचा—
“भाई, दुनिया चाहे जो करे, हम अपना पेमेंट सिस्टम ही क्यों न बना लें?”
यही कारण रहा कि समिट की सबसे चर्चित बात बनी नया पेमेंट सिस्टम।
कौन-कौन से मॉडल पर चर्चा?
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रुपया-रूबल ट्रेड (सीधा लेनदेन)
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डिजिटल पेमेंट मॉडल
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किसी तीसरे देश के बैंक की मदद
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रूस के वैकल्पिक SWIFT सिस्टम का इस्तेमाल
दोनों पक्षों के अधिकारी इसे लेकर इतने उत्साहित थे कि माहौल कुछ ऐसा लग रहा था जैसे दो दोस्त मिलकर नया UPI लॉन्च कर रहे हों—बस QR कोड लगाने की बात बाकी थी।
ऊर्जा साझेदारी: आर्कटिक से तमिलनाडु तक
रूस ने इस समिट में ऊर्जा पर दो बड़े प्रस्ताव रखे:
1️⃣ आर्कटिक रीजन में भारतीय निवेश के दरवाजे खोलना
रूस यहाँ बड़े तेल-गैस भंडार विकसित कर रहा है।
भारत के लिए यह ‘future energy security’ जैसा jackpot है।
2️⃣ कुडनकुलम न्यूक्लियर प्रोजेक्ट पर तेज़ी
तमिलनाडु में बन रहा यह प्लांट एशिया के सबसे विशाल nuclear setups में है।
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कुल 6 रिएक्टर
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हर रिएक्टर 1000 MW
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तीन रिएक्टर पहले ही नेटवर्क से जुड़ चुके हैं
यह प्रोजेक्ट भारत के clean energy future की रीढ़ बन सकता है।
रूस में 10 लाख भारतीय वर्कर्स: एक नया ‘मोबिलिटी पैक्ट’
रूस में युद्ध के बाद कई सेक्टर में skilled manpower की भारी कमी है। वहीं भारत दुनिया की सबसे बड़ी skill force बनकर उभर रहा है।
यही वजह है कि समिट में यह बड़ा प्रस्ताव आया:
➡️ 10 लाख skilled Indian workers के लिए jobs in Russia
रूस चाहता है:
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टेक्निकल एक्सपर्ट
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मेडिकल स्टाफ
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इंजीनियर्स
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IT professionals
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Construction वर्कर्स
भारत के लिए यह दोहरा फायदा है:
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विदेश में नए रोजगार
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भारत–रूस रिश्तों में और मजबूती
रिश्तों की भाषा में इसे मज़ाक में कहा जाए तो—
“दोनों देशों ने manpower की कमी और talent की अधिकता का perfect जुगाड़ लगा लिया।”
Su-57 और S-500: डिफेंस बातचीत का ‘हाई-वोल्टेज’ हिस्सा
भारतीय वायुसेना को नए fighter jets की जरूरत है। पुराने MiG के जमाने से लेकर आज तक रूस भारत का भरोसेमंद सप्लायर रहा है—और इस बार चर्चा दो बड़े नामों पर रही:
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Su-57 स्टेल्थ फाइटर जेट
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S-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम
Su-57 की खास बातें:
| फीचर | डिटेल |
|---|---|
| जेनरेशन | 5th Gen |
| तुलना | अमेरिकी F-35 का सीधा मुकाबला |
| मिसाइल क्षमता | लंबी दूरी तक अटैक |
| टेक ट्रांसफर | रूस बिना शर्त देने को तैयार |
| मैन्युफैक्चरिंग | भारत में बनाने का प्रस्ताव |
HAL पहले से रूसी विमानों की सर्विसिंग करती है, तो Su-57 का मेंटेनेंस देश में ही आसान होगा।
S-500 को भारत इसलिए पसंद कर रहा है क्योंकि यह hypersonic missiles तक रोकने की क्षमता रखता है—जो भविष्य की युद्ध तकनीक का सबसे बड़ा खतरा माना जाता है।
भारत–रूस समिट 2024: रिश्तों का नया अध्याय, पुतिन की उड़ान और दिल्ली का स्वागत
भारत की राजधानी में इस बार कूटनीति का तापमान कुछ ज़्यादा ही गर्म रहा। पुतिन चार साल बाद भारत आए और एयरपोर्ट पर ही प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें गले लगाकर ऐसा स्वागत किया कि मीडिया ने इसे “India’s diplomatic hug version 2024” नाम दे दिया।
कार के तौर पर दोनों नेता एक सफेद Toyota Fortuner Sigma 4 में बैठे—जो सुनने में भले ही सादी लगे, पर रजिस्ट्रेशन चेक करने पर पता चलता है कि यह गाड़ी मुंबई के एक एडिशनल पुलिस कमिश्नर के नाम रजिस्टर्ड है। दुनिया भर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बात headline बन गई कि “Putin rides in an Indian police officer’s SUV.”
वैसे, यह भी एक तरीका है दिखाने का कि भारत में VIP culture में गाड़ियाँ उतनी मायने नहीं रखतीं—रिश्ते ज़्यादा मायने रखते हैं।
राजघाट से राष्ट्रपति भवन तक—पुतिन की सुबह ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ से चमकी
पुतिन को राष्ट्रपति भवन में 21 तोपों की सलामी दी गई। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका स्वागत किया।
सलामी, बैंड और पारंपरिक समारोह के बाद पुतिन सीधे राजघाट गए। महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्प अर्पित कर उन्होंने कहा—
“गांधी ने बहुत पहले ही एक न्यायपूर्ण और बहुध्रुवीय दुनिया की कल्पना कर ली थी।”
यह लाइन इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि दुनिया इस समय एक नए पावर बैलेंस की तलाश में है—और भारत-रूस का रिश्ता उसी बदलते दौर का बड़ा हिस्सा है।
हैदराबाद हाउस: जहां ‘डील्स का मौसम’ खुल गया
हैदराबाद हाउस इस बार सिर्फ सजाया ही नहीं गया था—लग रहा था जैसे किसी शाही वार्ता का सेटअप हो।
पुतिन और मोदी यहाँ आमने-सामने बैठे और जिस मुद्दे पर बात शुरू हुई, वहीं से लगता था कि समिट साधारण नहीं, बल्कि “New Era Agreements” वाली समिट बनने जा रही है।
वार्ता में प्रमुख मुद्दे:
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आर्थिक साझेदारी
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डिफेंस टेक्नोलॉजी
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ऊर्जा सुरक्षा
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वर्कफोर्स मोबिलिटी
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न्यूक्लियर प्रोजेक्ट्स
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शिपिंग रूट्स और कनेक्टिविटी
मोदी ने कहा—
“भारत न्यूट्रल नहीं है, भारत शांति के पक्ष में है।”
इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इतना जोर पकड़ा कि Twitter/X पर हिंदुस्तान का पूरा ट्रेंड चढ़ गया।
नॉर्थ–साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर: रूस से सामान सीधे हिंद महासागर
पुतिन ने एक बड़ा प्रोजेक्ट सामने रखा—International North-South Transport Corridor (INSTC)।
ये एक ऐसा रूट होगा जिससे रूस और बेलारूस का सामान सीधे हिंद महासागर तक पहुंचेगा, बिना यूरोप का चक्कर लगाए।
इससे भारत को क्या मिलेगा?
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व्यापार 20–30% सस्ता
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डिलीवरी समय लगभग 40% कम
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रूस–भारत व्यापार double होने की संभावना
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भारतीय बंदरगाहों की रणनीतिक अहमियत बढ़ेगी
अगर इसे सरल भाषा में समझें, तो यह ऐसा है जैसे रूस कह रहा हो—
“भैया, समुद्र का शॉर्टकट मिल गया है, अब ट्रैफिक कम और बिजनेस तेज़!”
टेबल: भारत–रूस व्यापार की वर्तमान स्थिति
| क्षेत्र | भारत का रूस से आयात | भारत का रूस को निर्यात |
|---|---|---|
| तेल | 76% (raw crude) | — |
| कोयला + अन्य fuel | 9% | — |
| मेडिकल + फार्मा | — | High volume |
| फाइन केमिकल्स | — | Stable |
| चाय/कॉफी/मसाले | — | Significant export |
| इंजीनियरिंग गुड्स | कुछ | बढ़ते अवसर |
पिछले साल व्यापार 64 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया और यह 12% की वृद्धि थी। पुतिन का दावा है कि यह जल्द ही 100 बिलियन डॉलर छू लेगा।
परमाणु ऊर्जा: कुडनकुलम प्रोजेक्ट में तेज़ी
रूस ने बताया कि:
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कुल 6 रिएक्टर
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3 रिएक्टर पहले ही भारत की ग्रिड से जुड़े
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बाकी 3 निर्माण के अलग-अलग चरणों में
यह प्रोजेक्ट बड़ा क्यों?
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भारत को साफ ऊर्जा मिलेगी
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दक्षिण भारत में बिजली की कमी पूरी होगी
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कोयले पर निर्भरता कम होगी
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यह एशिया का सबसे बड़ा nuclear project है
मोदी ने इस सहयोग को “विन-विन पार्टनरशिप” कहा।
R&D और टेक्नोलॉजी: रूस का खुला ऑफर—“टेक लेकर जाइए”
रूस ने जिस खुले दिल से तकनीक देने की बात कही, उसे सुनकर कई भारतीय defense experts भावुक हो गए होंगे।
पुतिन ने कहा—
“हम सिर्फ हथियार नहीं बेचते, टेक्नोलॉजी भी शेयर करते हैं।”
Su-57 का पूरा tech transfer संभव
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इंजन
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रडार
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स्टेल्थ तकनीक
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हथियार प्रणाली
यह सब भारत को दिया जा सकता है।
यह कोई छोटी बात नहीं—F-35 जैसी तकनीक अमेरिका ने आज तक किसी को नहीं दी।
Russians के लिए 30-Day Free Tourist Visa
मोदी ने घोषणा की कि रूस के नागरिकों को भारत के लिए:
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30-day free e-tourist visa
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30-day group visa
जल्द शुरू होगा।
भारत-रूस पर्यटन के लिए यह breakthrough है।
भारत–रूस के बीच बड़े समझौते (19 MoUs)
नीचे टेबल में पूरा सार:
| सेक्टर | समझौता / MoU |
|---|---|
| हेल्थकेयर | मेडिकल एजुकेशन, रिसर्च |
| फूड सेफ्टी | भारत की FSSAI + रूस की सुरक्षा एजेंसी |
| उर्वरक | रूस में भारतीय कंपनी द्वारा यूरिया प्लांट |
| शिपिंग | पोलर मार्ग पर ट्रेनिंग + नए पोर्ट निवेश |
| माइग्रेशन | लोगों की आवाजाही आसान |
| न्यूक्लियर | कुडनकुलम प्रोजेक्ट की प्रगति |
| इंडस्ट्री | क्रिटिकल मिनरल्स सहयोग |
ये समझौते भारत-रूस व्यापार को एक नए स्तर पर ले जाएंगे।
चीन और अमेरिका की नज़र से यह दौरा
रूस–भारत समिट पर चीन की मीडिया ने काफी reactions दिए:
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उन्होंने लिखा कि भारत रूस से दूरी नहीं बना पाएगा
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अमेरिका के दबाव के बावजूद ऊर्जा सहयोग जारी रहेगा
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रूस भारत की foreign policy में “strategic safety net” है
यूक्रेन जंग के बीच भारत का balancing act अमेरिका और रूस दोनों के साथ एक ‘masterclass’ माना जा रहा है।
पुतिन–मोदी की डिनर मीटिंग: दोस्ती की chemistry फिर चमकी
24 घंटे में दोनों नेताओं की 3 मुलाकातें हुईं:
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प्राइवेट डिनर
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आधिकारिक बैठक
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बिजनेस फोरम
दोनों नेताओं की बॉडी लैंग्वेज देख कर साफ था कि बातचीत formal कम और दोस्ताना ज्यादा थी।
पुतिन ने अपने भाषण में कहा—
“भारत-रूस की दोस्ती सिर्फ नाम की नहीं, बल्कि भरोसे पर चलती है।”
डिजिटल कनेक्टिविटी: ‘वर्चुअल ट्रेड कॉरिडोर’ का नया आइडिया
भारत और रूस ने इस बार डिजिटल टेक्नोलॉजी को सिर्फ सोशल मीडिया या वीडियो मीटिंग तक सीमित नहीं रखा।
मोदी ने सुझाव दिया कि कस्टम, लॉजिस्टिक्स और रेगुलेटरी सिस्टम को एक Virtual Trade Corridor के जरिए जोड़ा जा सकता है।इससे होगा क्या?
कागजों की झंझट कम
कस्टम क्लियरेंस तेज
माल ढुलाई सस्ती
भ्रष्टाचार कम
छोटे व्यापारी भी इंटरनेशनल ट्रेड में जुड़ पाएंगे
यह विचार दोनों देशों के लिए खास है क्योंकि भारत दुनिया का logistics powerhouse बनना चाहता है और रूस नए रूट्स के विकास में जुटा है।
EV और हाई-टेक इंडस्ट्री में साझेदारी—‘चार्जिंग पॉइंट’ अब मॉस्को तक
भारत EV सेक्टर में तेजी से बढ़ रहा है। दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी टेक्नोलॉजी और CNG मोबिलिटी में भारत वैश्विक लीडर बन चुका है।
मोदी ने सुझाव दिया कि भारत और रूस EV components और wireless mobility tech मिलकर बना सकते हैं।रूस के पास:
advanced metals
polymers
rare materials
भारत के पास:
EV innovation
skilled engineers
दोनों मिल जाएँ तो EV इंडस्ट्री में “Delhi to Moscow partnership model” पैदा हो सकता है।
फार्मा, टेक्सटाइल और हेल्थ सेक्टर—दो देशों का ‘कॉमन मेडिसिन बॉक्स’
भारत दुनिया का ‘Pharmacy of the World’ है।
रूस advanced polymers बनाता है।
दोनों की जरूरतें एक-दूसरे से perfectly match होती हैं।सहयोग के नए क्षेत्र:
वैक्सीन डेवलपमेंट
कैंसर थेरेपी
API सप्लाई चेन
टेक्निकल टेक्सटाइल
रेडियो-फार्मास्यूटिकल्स
भारत के टेक्सटाइल उद्योग को रूस की material science के साथ जोड़ने से एक नई value chain बन सकती है।
रूस में पढ़ाई—भारतीय छात्रों के लिए रास्ता आसान
दिल्ली में Russian Education Agency का पहला ऑफिस खोला गया।
इसका मकसद:
छात्रों के लिए admission आसान करना
scholarship options बढ़ाना
Russia–India education bridge तैयार करना
रूस की कंपनियाँ चाहती हैं कि भारतीय छात्र आगे चलकर innovation industry में joint projects पर काम करें।
ये एक बड़े geopolitics स्तर पर education diplomacy का हिस्सा है।
नया बिजनेस फोरम: पुतिन का साफ संदेश—“हम हर सेक्टर में साझेदारी चाहते हैं”
पुतिन ने एक दिलचस्प लाइन कही:
“हम सिर्फ तेल और गैस पर बात करने भारत नहीं आए।”
इसका मतलब साफ है—रूस भारत को सिर्फ buyer नहीं, एक full spectrum partner के रूप में देख रहा है।
प्रमुख सेक्टर जिनपर रूस ने नई partnerships की बात कही:
मैन्युफैक्चरिंग
फर्टिलाइजर
स्टील
टेक्सटाइल
फिनटेक
डिजिटल पेमेंट्स
shipping logistics
innovation & R&D
पुतिन ने PM मोदी की leadership की जमकर तारीफ़ की और कहा कि भारत की economic growth “whole world का attention grab कर रही है।”
भारत–रूस व्यापार: 80% की ऐतिहासिक छलांग
पिछले 3 वर्षों में व्यापार में 80% वृद्धि हुई है।
सिर्फ पिछले साल यह 64 बिलियन डॉलर तक पहुँचा।पुतिन ने कहा—
“हम भारत से आयात बढ़ाने के लिए तैयार हैं।”
इसका मतलब है कि future में:
भारतीय दवाइयाँ
मसाले
टेक्सटाइल
मशीनरी
IT services
सबकी demand रूस में और तेज बढ़ सकती है।
मोदी का जवाब—“विश्वास ही सबसे बड़ी ताकत है”
मोदी ने कहा—
“किसी भी साझेदारी की नींव भरोसा होती है—और भारत-रूस का रिश्ता इसी भरोसे की सबसे बड़ी मिसाल है।”
मोदी ने जोर दिया कि:
2030 से पहले 100 बिलियन डॉलर व्यापार लक्ष्य पूरा होगा
Make in India में Russia बड़ा partner बनेगा
सिविल न्यूक्लियर में private sector भी आगे आएगा
कनेक्टिविटी कॉरिडोर दुनिया को reshape करेंगे
भारत यह भी चाहता है कि रूस में भारतीय skilled workforce को एक trusted तरीके से भेजा जाए—जिसे उन्होंने “Russia-Ready Workforce” नाम दिया।
टूरिज़्म और वीज़ा—रिश्तों में ‘soft power boost’
भारत रूस को सिर्फ रणनीतिक पार्टनर के रूप में नहीं, सांस्कृतिक और पर्यटन पार्टनर के रूप में भी देख रहा है।
नए फैसले:
30-day free e-visa for Russian citizens
group tourist visa facility
दोनों देशों में tourism campaigns
पर्यटन के ज़रिए दो देशों के लोग culturally करीब आएँगे।
19 बड़े समझौते—भारत–रूस रिश्तों में एक नया रिकॉर्ड
नीचे टेबल में समझौते:
सेक्टर MoU का असर हेल्थ मेडिकल रिसर्च मजबूत फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड्स बेहतर शिपिंग पोलर रूट पर ट्रेनिंग न्यूक्लियर कुडनकुलम तेज़ी से आगे फर्टिलाइजर रूस में इंडियन प्लांट माइग्रेशन 10 लाख workers की संभावना इंडस्ट्री क्रिटिकल मिनरल्स सप्लाई
FA Qs — अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. भारत–रूस समिट में सबसे बड़ा फैसला क्या रहा?
सबसे बड़ी चर्चा नया पेमेंट सिस्टम और 10 लाख भारतीय वर्कर्स के रोजगार पर रही।
2. क्या Su-57 भारत में बनाया जा सकता है?
हाँ, रूस ने भारत में उत्पादन की पेशकश की है।
3. क्या भारत–रूस व्यापार 100 बिलियन डॉलर तक पहुँचेगा?
दोनों नेता दावा कर रहे हैं कि यह लक्ष्य 2030 से पहले पूरा हो जाएगा।
4. भारत को नया शिपिंग रूट कैसे फायदा देगा?
Russia–India INSTC से ट्रांज़िट समय और लागत दोनों कम होंगे।
5. क्या रूस में भारतीय छात्रों के लिए नए अवसर हैं?
हाँ, नई एजेंसी खुलने से एडमिशन और गाइडेंस आसान होगा।
6. क्या भारत न्यूट्रल है?
मोदी ने कहा—भारत न्यूट्रल नहीं, “शांति के पक्ष में” है।
Conclusion — भारत–रूस रिश्तों की नई दिशा
भारत और रूस की दोस्ती कोई आज की नहीं, बल्कि दशकों पुरानी है—और इस समिट ने यह साफ कर दिया कि यह रिश्ता सिर्फ रक्षा या ऊर्जा का सौदा नहीं है।
भरोसा, सहयोग, तकनीक, और भविष्य—चारों मिलकर दोनों देशों के रिश्ते को नई मजबूती दे रहे हैं।समिट में लिए गए फैसले दिखाते हैं कि:
भारत रूस के लिए एशिया का सबसे बड़ा estratégico partner है
रूस भारत के लिए energy और defense का सबसे भरोसेमंद देश है
दोनों मिलकर global south के लिए नई दिशा तय कर रहे हैं
आने वाले सालों में नया पेमेंट सिस्टम, nuclear expansion, worker mobility, defense tech transfer और logistics corridors—ये सब मिलकर India–Russia Partnership को एक नए युग में ले जाएंगे।
और जैसा मोदी ने कहा—
“भारत–रूस की दोस्ती ध्रुव तारे की तरह स्थिर है।”