टीवी और फिल्म जगत के दिग्गज अभिनेता सतीश शाह अब हमारे बीच नहीं रहे। 74 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। रविवार को जब उनका अंतिम संस्कार हुआ, तो ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ की पूरी टीम वहां मौजूद थी। उस वक्त जो नजारा दिखा, उसने हर किसी की आंखें नम कर दीं।
शो के टाइटल सॉन्ग से दी गई अंतिम विदाई
मुंबई के विले पार्ले स्थित पवन हंस श्मशान भूमि में सतीश शाह का अंतिम संस्कार किया गया। उनके पार्थिव शरीर के सामने उनकी टीम के सभी साथी मौजूद थे — रूपाली गांगुली, सुमीत राघवन, राजेश कुमार, जेडी मजेठिया, देवेन भोजानी और कई अन्य कलाकार।
जब सबने मिलकर शो का टाइटल सॉन्ग “साराभाई वर्सेज साराभाई…” गाना शुरू किया, तो वहां मौजूद हर चेहरा भावुक हो उठा। रूपाली गांगुली तो खुद को रोक नहीं सकीं और फूट-फूटकर रो पड़ीं। इस दौरान जेडी मजेठिया ने उन्हें संभाला। वहीं सुमीत राघवन और राजेश कुमार भी सतीश शाह के पार्थिव शरीर के सामने खड़े होकर प्रार्थना करते दिखे।
फिल्म इंडस्ट्री के कई चेहरे हुए शामिल
सतीश शाह के अंतिम संस्कार में सिर्फ टीवी जगत के ही नहीं, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री के कई सितारे भी पहुंचे।
‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ में उनके ऑनस्क्रीन बेटे रोसेश साराभाई का किरदार निभाने वाले राजेश कुमार ने अपने प्रिय को कंधा दिया। उनके साथ फिल्ममेकर अशोक पंडित भी मौजूद थे।
उनके चेहरे पर दर्द साफ झलक रहा था। उन्होंने कहा,
“सतीश सर सिर्फ एक एक्टर नहीं थे, वो हमारे लिए एक इंस्टीट्यूशन थे। उनसे सीखा कि कैसे कैमरे के पीछे और सामने दोनों तरफ इंसान बने रहना है।”
‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ – जो बना पहचान
अगर टीवी इतिहास की बात की जाए, तो ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ एक ऐसा शो था जिसने लोगों को हंसते-हंसते सोचने पर मजबूर कर दिया।
यह शो 1 नवंबर 2004 को स्टार वन पर प्रसारित हुआ था। बाद में इसका डिजिटल वर्जन 2017 में रिलीज हुआ।
शो की कहानी एक गुजराती परिवार, साराभाई परिवार, के इर्द-गिर्द घूमती है। इस परिवार में था मॉडर्निटी और मिडल क्लास वैल्यूज़ का दिलचस्प टकराव।
शो के मुख्य किरदार थे –
| किरदार | कलाकार का नाम | भूमिका का विवरण |
|---|---|---|
| इंद्रवदन साराभाई | सतीश शाह | व्यंग्यप्रिय, हंसोड़ और मस्तमौला पिता |
| माया साराभाई | रत्ना पाठक शाह | सख्त लेकिन स्टाइलिश माँ |
| साहिल साराभाई | सुमीत राघवन | समझदार और शांत बेटा |
| मोनिशा साराभाई | रूपाली गांगुली | मिडल क्लास बहू |
| रोसेश साराभाई | राजेश कुमार | कवितामय और भोला बेटा |
शो के प्रोड्यूसर जेडी मजीठिया और डायरेक्टर देवेन भोजानी थे, जिन्होंने इस सीरीज को टीवी कॉमेडी का क्लासिक बना दिया।
सतीश शाह – हंसी के पीछे का गंभीर कलाकार
सतीश शाह को लोग उनके मजेदार किरदारों के लिए याद करेंगे, लेकिन उनकी जिंदगी में अनुशासन और गंभीरता भी उतनी ही थी।
उनका जन्म मुंबई के मांडवी में हुआ था। उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन की और फिर फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (FTII, पुणे) से एक्टिंग सीखी।
साल 1972 में उन्होंने डिजाइनर मधु शाह से शादी की। दोनों का रिश्ता उतना ही मजबूत था जितना सतीश शाह का लोगों के दिलों से जुड़ाव।
सिनेमा से टीवी तक का शानदार सफर
सतीश शाह ने अपने करियर की शुरुआत 1970 की फिल्म ‘भगवान परशुराम’ से की थी।
उनका करियर चार दशक से भी लंबा रहा, जिसमें उन्होंने करीब 250 से ज्यादा फिल्मों और टीवी शो में काम किया।
उनकी कुछ यादगार फिल्में हैं –
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जाने भी दो यारों (1983) – इस फिल्म ने सतीश शाह को अमर कर दिया। उनके डेड बॉडी सीन ने कॉमेडी का इतिहास बदल दिया।
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कल हो ना हो (2003) – जहां उन्होंने अपने छोटे लेकिन प्रभावी रोल से सबका दिल जीत लिया।
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मैं हूं ना (2004) – प्रिंसिपल के रोल में उनका ह्यूमर दर्शकों को खूब पसंद आया।
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फना (2006) और ओम शांति ओम (2007) – इन फिल्मों में भी उन्होंने अपनी उपस्थिति से दर्शकों को हंसाया और भावुक किया।
टीवी की बात करें तो उन्होंने 1984 में ‘ये जो है जिंदगी’ से टीवी डेब्यू किया।
यह शो इसलिए खास था क्योंकि उन्होंने 55 एपिसोड में 55 अलग-अलग किरदार निभाए थे।
कह सकते हैं कि हर एपिसोड में एक नया सतीश शाह जन्म लेता था!
‘साराभाई’ परिवार की दोस्ती असल जिंदगी में भी कायम
सालों तक साथ काम करने के बाद भी शो की टीम एक-दूसरे के बेहद करीब रही।
अक्सर वे जन्मदिन, त्योहार और पारिवारिक फंक्शन में साथ दिखते थे।
रूपाली गांगुली ने कई बार कहा कि
“सतीश सर हम सबके लिए पिता समान थे। उनके बिना सेट अधूरा लगता था।”
देवेन भोजानी ने कहा,
“सतीश जी ने हमें सिखाया कि कॉमेडी में टाइमिंग नहीं, दिल लगता है।”
सतीश शाह – कलाकार जिनके बिना कॉमेडी अधूरी है
सतीश शाह का अभिनय कभी सिर्फ डायलॉग तक सीमित नहीं था।
उनकी आंखों की चमक, चेहरे की मुस्कान और शरीर की भाषा हर किरदार को जीवंत कर देती थी।
यह कहना गलत नहीं होगा कि कॉमेडी में उनका मुकाबला कोई नहीं कर सका।
उनका किरदार “इंद्रवदन साराभाई” आज भी सोशल मीडिया पर मीम्स और रील्स में जिंदा है।
कुछ दिलचस्प बातें सतीश शाह के बारे में
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उन्होंने FTII से एक्टिंग सीखी, जहां उनके साथ कई दिग्गज कलाकारों ने पढ़ाई की।
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वे सचिन तेंदुलकर के बड़े फैन थे और अक्सर मैच के दौरान स्टेडियम में नजर आते थे।
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सतीश शाह को ड्रामा से ज्यादा सिचुएशनल कॉमेडी पसंद थी।
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वे हमेशा कहते थे – “कॉमेडी करने के लिए आपको खुद पर हंसना आना चाहिए।”
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‘कॉमेडी सर्कस’ में उन्होंने अर्चना पूरन सिंह के साथ बतौर जज काम किया और शो को नई पहचान दी।
लोगों की भावनाएं – सोशल मीडिया पर उमड़ा प्यार
सतीश शाह के निधन की खबर आते ही सोशल मीडिया पर फैंस ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
कई यूजर्स ने लिखा –
“इंद्रवदन साराभाई चला गया, लेकिन उसकी हंसी हमेशा गूंजती रहेगी।”
एक फैन ने ट्वीट किया,
“अब कौन माया साराभाई को ‘मोनिशा, ये क्या बकवास है!’ कहेगा?”
उनके निधन ने वाकई एक ऐसा खालीपन छोड़ दिया है जिसे भरा नहीं जा सकता।
टीवी इंडस्ट्री को दिया हंसने का नया तरीका
सतीश शाह ने भारतीय टीवी को दिखाया कि कॉमेडी सिर्फ जोक नहीं, बल्कि ऑब्जर्वेशन होती है।
उनके किरदार आम जिंदगी से जुड़े होते थे —
थोड़े चिड़चिड़े, थोड़े समझदार, लेकिन पूरे दिल से जिंदादिल।
शायद यही वजह थी कि उनका हर सीन यादगार बन जाता था।
‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ – एक शो, जो कभी पुराना नहीं हुआ
आज भी जब लोग इस शो के क्लिप देखते हैं, तो हंसी आ ही जाती है।
माया साराभाई का क्लास और मोनिशा की मिडल क्लास की जुगलबंदी आज भी रिलेटेबल लगती है।
सतीश शाह के बिना यह शो अधूरा था और रहेगा भी।
उनके जाने के बाद फैंस सोशल मीडिया पर शो को दोबारा स्ट्रीम करने की मांग कर रहे हैं, ताकि नई पीढ़ी भी इंद्रवदन साराभाई से मिल सके।
FAQs
1. सतीश शाह का निधन कब हुआ?
→ उनका निधन शनिवार को हुआ, वे किडनी से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे थे।
2. उनका अंतिम संस्कार कहां हुआ?
→ मुंबई के विले पार्ले (वेस्ट) स्थित पवन हंस श्मशान भूमि में।
3. सतीश शाह को सबसे ज्यादा पहचान किस शो से मिली?
→ ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ से।
4. उन्होंने किस फिल्म से करियर की शुरुआत की थी?
→ 1970 की फिल्म ‘भगवान परशुराम’ से।
5. क्या सतीश शाह ने कभी जज की भूमिका निभाई थी?
→ हां, उन्होंने ‘कॉमेडी सर्कस’ में अर्चना पूरन सिंह के साथ बतौर जज काम किया था।
निष्कर्ष – हंसी छोड़ गए
सतीश शाह का जाना सिर्फ एक अभिनेता का खोना नहीं, बल्कि हंसी के युग का अंत है।
उन्होंने हमें सिखाया कि कॉमेडी सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवन की फिलॉसफी है।
उनकी हंसी, उनका व्यंग्य और उनका सेंस ऑफ ह्यूमर आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
जब भी कोई ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ देखेगा, कहीं न कहीं एक आवाज जरूर गूंजेगी —
“मोनिशा, ये क्या बकवास है!”
और यही होगा सतीश शाह को सच्ची श्रद्धांजलि। ❤️